
नाजीवाद 20वीं शताब्दी की एक कठोर और क्रूर विचारधारा थी, जो जर्मनी में हिटलर के नेतृत्व में विकसित हुई। यह विचारधारा नस्लीय श्रेष्ठता, अधिनायकवाद और यहूदियों के खिलाफ हिंसक नीतियों पर आधारित थी। बिहार बोर्ड कक्षा 9 इतिहास अध्याय 5 में हम जानेंगे नाजी पार्टी के उदय, हिटलर के शासनकाल, उसके प्रभाव और द्वितीय विश्व युद्ध से इसके संबंध के बारे में। यह अध्याय छात्रों को इतिहास के उस अंधेरे अध्याय से परिचित कराता है, जिससे मानवता को गंभीर सबक मिले।
| पाठ्यपुस्तक | BSTBPC |
| कक्षा | कक्षा – 9 |
| विषय | इतिहास |
| अध्याय | अध्याय 5 |
| प्रकरण | नजीवाद |
बिहार बोर्ड कक्षा 9 इतिहास अध्याय 5: नजीवाद के वस्तुनिष्ठ प्रश्नों के उत्तर:
📘 वस्तुनिष्ठ प्रश्न :
1. हिटलर का जन्म कहां हुआ था?
(क) जर्मनी
(ख) इटली
(ग) जापान
(घ) ऑस्ट्रिया ✅
उत्तर: (घ) ऑस्ट्रिया
2. नाजी पार्टी का प्रतीक चिन्ह क्या था?
(क) लाल झंडा
(ख) स्वास्तिक ✅
(ग) ब्लैक शर्ट
(घ) कबूतर
उत्तर: (ख) स्वास्तिक
3. ‘मीन कैम्फ’ किसकी रचना है?
(क) मुसोलिनी
(ख) हिटलर ✅
(ग) हिंडेनबर्ग
(घ) स्ट्रेसमैन
उत्तर: (ख) हिटलर
4. जर्मनी का प्रमुख औद्योगिक क्षेत्र था –
(क) आल्सस लॉरेन
(ख) रूर ✅
(ग) इवानोव
(घ) बर्लिन
उत्तर: (ख) रूर
5. जर्मनी की मुद्रा का नाम क्या था?
(क) डॉलर
(ख) पाउंड
(ग) मार्क ✅
(घ) रूबल
उत्तर: (ग) मार्क
📙 सही कथनों का चुनाव करें :
1. हिटलर लोकतंत्र का समर्थन नहीं था। ✔️
2. नाजीवादी कार्यक्रम यहूदी समर्थक था। ❌
3. नाजीवाद में निरंकुश सरकार का प्रावधान था। ✔️
4. वर्साय संधि में हिटलर के उत्कर्ष के बीज निहित थे। ✔️
5. नाजीवाद में सैनिक शक्ति एवं हिंसा का गौरव किया जाता है। ✔️
📗 रिक्त स्थानों की पूर्ति करें :
1. हिटलर का जन्म 1889 ई० में हुआ था।
2. हिटलर ने जर्मनी के चांसलर का पद 1933 ई० में संभाला था।
4. जर्मनी ने राष्ट्रसंघ से संबंध विच्छेद 1933 ई० में किया था।
5. नाजीवाद का प्रवर्तक हिटलर था।
6. जर्मनी के निम्न सदन को राइखस्टैग कहा जाता था।
📕 20 शब्दों में उत्तर दें :
तानाशाह:
तानाशाह वह शासक होता है जिसके पास संपूर्ण अधिकार होते हैं और जो बिना किसी विरोध के शासन करता है।
वर्साय संधि:
प्रथम विश्व युद्ध के बाद 1919 में मित्र राष्ट्रों द्वारा जर्मनी पर थोपी गई कठोर और अपमानजनक शर्तों वाली संधि थी।
तुष्टिकरण की नीति:
इंग्लैंड और फ्रांस ने हिटलर को रोकने की जगह उसे शांत करने के लिए उसकी मांगें मान लीं, यही तुष्टिकरण नीति थी।
वाइमर गणराज:
जर्मनी की वह लोकतांत्रिक सरकार जो प्रथम विश्व युद्ध के बाद 1919 में बनी और 1933 में हिटलर के आगमन से समाप्त हुई।
साम्यवाद:
यह एक राजनीतिक विचारधारा है जिसमें राज्य सभी संसाधनों और उत्पादन के साधनों का मालिक होता है और सब कुछ बराबरी से बांटा जाता है।
तृतीय राइख:
यह हिटलर के शासनकाल के लिए प्रयुक्त शब्द है, जिसमें उसने जर्मनी को एक शक्तिशाली और विस्तारवादी राष्ट्र के रूप में स्थापित करने की कोशिश की।
📒 सही मिलान करें:
| स्तंभ A | स्तंभ B |
|---|---|
| 1. गेस्टापो | (ग) गुप्तचर पुलिस |
| 2. वाइमर | (क) जर्मनी का शहर |
| 3. सिनेगॉग | (ख) यहूदियों के प्रार्थना गृह |
| 4. ब्राउन शर्ट्स | (घ) निजी सेना |
| 5. हिंडेनबर्ग | (ड) जर्मनी राष्ट्रपति |
(टिप्पणी: वाइमर का सही मिलान जर्मनी का शहर है, जबकि हिंडेनबर्ग का जर्मनी राष्ट्रपति और जर्मनी का शहर दोनों में विनिमय करें।)
बिहार बोर्ड कक्षा 9 इतिहास अध्याय 5: नजीवाद के लघु उत्तरीय प्रश्नों के उत्तर:
प्रश्न 1. वर्साय संधि ने हिटलर के उदय की पृष्ठभूमि तैयार की कैसे?
उत्तर: वर्साय संधि ने जर्मनी को आर्थिक, राजनीतिक और सैन्य रूप से कमजोर कर दिया। इससे जर्मन जनता में असंतोष और अपमान की भावना पैदा हुई। हिटलर ने राष्ट्रवाद और बदले की भावना को भड़काकर लोगों का समर्थन प्राप्त किया।
प्रश्न 2. वाइमर गणराज्य नाजीवाद के उदय में सहायक बना कैसे?
उत्तर: वाइमर गणराज्य एक कमजोर लोकतांत्रिक व्यवस्था थी जो महंगाई, बेरोजगारी और राजनीतिक अस्थिरता को रोकने में असफल रही। इससे जनता का लोकतंत्र से विश्वास उठ गया और उन्होंने एक मजबूत नेता के रूप में हिटलर को समर्थन देना शुरू किया।
प्रश्न 3. नाजीवाद कार्यक्रम ने द्वितीय विश्व युद्ध की पृष्ठभूमि तैयार की कैसे?
उत्तर: नाजीवाद के तहत हिटलर ने जर्मन जाति को श्रेष्ठ बताया और दूसरे देशों पर अधिकार करने की नीति अपनाई। उसने वर्साय संधि को तोड़ते हुए सेना बढ़ाई और अन्य देशों पर हमला किया, जिससे द्वितीय विश्व युद्ध का मार्ग प्रशस्त हुआ।
प्रश्न 4. क्या साम्यवाद के भय ने जर्मन पूंजीपतियों को हिटलर का समर्थक बनाया?
उत्तर: साम्यवाद के बढ़ते प्रभाव से जर्मन पूंजीपति डर गए थे क्योंकि साम्यवादी व्यवस्था में निजी संपत्ति खत्म हो जाती है। हिटलर ने साम्यवाद का विरोध किया और पूंजीपतियों को संरक्षण का भरोसा दिया, जिससे वे उसके समर्थक बन गए।
प्रश्न 5. रोम-बर्लिन-टोक्यो धुरी क्या है?
उत्तर: यह एक सैन्य गठबंधन था जो द्वितीय विश्व युद्ध से पहले इटली, जर्मनी और जापान के बीच बना था। इस गठबंधन का उद्देश्य अपने-अपने विस्तारवादी लक्ष्यों को पूरा करना और मित्र राष्ट्रों का विरोध करना था।
बिहार बोर्ड कक्षा 9 इतिहास अध्याय 5: नजीवाद के दीर्घ उत्तरीय प्रश्नों के उत्तर:
प्रश्न 1. हिटलर के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालें।
उत्तर: हिटलर जर्मनी का एक क्रांतिकारी, कट्टर राष्ट्रवादी और प्रभावशाली वक्ता था जिसने प्रथम विश्व युद्ध के बाद कमजोर पड़े जर्मनी को फिर से शक्तिशाली बनाने का सपना दिखाया। वह बचपन से ही आत्मविश्वासी, जिद्दी और महत्वाकांक्षी था।
उसने ‘मीन कैम्फ’ नामक पुस्तक में अपनी सोच, यहूदियों के प्रति घृणा और राष्ट्रवाद को विस्तार से बताया। वह नाजी पार्टी का नेता बना और जर्मन जनता की भावनाओं को भड़काकर सत्ता में आया। वह भाषणों से लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता था और जनता को एकता के लिए प्रेरित करता था।
हिटलर का व्यवहार एक तानाशाह की तरह था। उसने विरोधियों को दबाया, प्रेस की स्वतंत्रता छीनी और लोकतंत्र की जगह एकदलीय तानाशाही शासन लागू किया। वह सैन्य शक्ति और हिंसा में विश्वास रखता था।
हिटलर एक करिश्माई लेकिन निरंकुश नेता था। उसके व्यक्तित्व ने जर्मनी को एक समय के लिए सशक्त बनाया, लेकिन अंततः द्वितीय विश्व युद्ध और लाखों निर्दोषों की मौत का कारण भी बना।
प्रश्न 2. हिटलर की विदेश नीति जर्मनी को खोई प्रतिष्ठा प्राप्त करने का एक साधन थी। कैसे?
उत्तर: प्रथम विश्व युद्ध के बाद वर्साय संधि के कारण जर्मनी की अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा गिर गई थी। हिटलर ने इसे बदलने के लिए एक आक्रामक विदेश नीति अपनाई ताकि जर्मनी को फिर से एक महाशक्ति बनाया जा सके।
उसने सबसे पहले वर्साय संधि की अवहेलना की और सैन्य विस्तार शुरू किया। जर्मनी ने ऑस्ट्रिया को मिलाया और चेकोस्लोवाकिया के हिस्सों पर कब्जा किया। उसने पोलैंड पर हमला करके मित्र राष्ट्रों को चुनौती दी, जिससे द्वितीय विश्व युद्ध शुरू हुआ।
हिटलर ने रोम-बर्लिन-टोक्यो धुरी बनाकर अन्य तानाशाही देशों के साथ सहयोग किया। उसकी विदेश नीति का उद्देश्य केवल भूमि विस्तार नहीं था, बल्कि जर्मन जाति की श्रेष्ठता स्थापित करना भी था। उसने यहूदियों और अन्य नस्लों को नीचा दिखाया।
हिटलर की विदेश नीति ने जर्मनी को खोई प्रतिष्ठा दिलाने की कोशिश की, परंतु यह नीति हिंसा, आक्रमण और युद्ध पर आधारित थी, जिससे संपूर्ण विश्व युद्ध की आग में झुलस गया।
प्रश्न 3. नाजीवादी दर्शन निरंकुशता का समर्थक एवं लोकतंत्र का विरोधी था। विवेचना कीजिए।
उत्तर: नाजीवाद एक राजनीतिक विचारधारा थी जो तानाशाही, नस्लवाद और राष्ट्रवाद पर आधारित थी। इसका मुख्य उद्देश्य जर्मन जाति की श्रेष्ठता स्थापित करना और वर्साय संधि के अपमान का बदला लेना था।
नाजी विचारधारा में केवल एक नेता – फ्यूहरर – की पूजा की जाती थी। यह विचारधारा बहुदलीय लोकतंत्र, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और समानता का विरोध करती थी। हिटलर ने सत्ता में आते ही संसद को कमजोर कर दिया और नाजी पार्टी को एकमात्र वैध दल घोषित किया।
नाजीवाद यहूदियों, साम्यवादियों, समाजवादियों और मानसिक रूप से कमजोर लोगों को समाज के लिए हानिकारक मानता था। नाजी शासन में गुप्त पुलिस (गेस्टापो) द्वारा विरोधियों को मार दिया जाता था। शिक्षा, मीडिया और कला को सरकार के नियंत्रण में रखा गया।
नाजीवाद एक पूर्ण रूप से निरंकुश विचारधारा थी, जो लोकतांत्रिक मूल्यों के विपरीत थी। यह मानव अधिकारों की अनदेखी करता था और समाज को एक नेता और एक विचारधारा के अधीन रखना चाहता था।
