बिहार बोर्ड कक्षा 9 इतिहास अध्याय 3: फ्रांस की क्रांति

बिहार बोर्ड कक्षा 9 इतिहास अध्याय 3: फ्रांस की क्रांति

फ्रांस की क्रांति 1789 ई. में घटित हुई, जिसने यूरोप ही नहीं, पूरे विश्व को लोकतंत्र और समानता की ओर प्रेरित किया। यह क्रांति फ्रांसीसी जनता के अत्याचारों के विरुद्ध उठे जनआंदोलन का परिणाम थी, जो ‘समानता, स्वतंत्रता और भ्रातृत्व’ के आदर्शों पर आधारित थी। बिहार बोर्ड कक्षा 9 इतिहास के इस अध्याय में हम जानेंगे इसके प्रमुख कारण, घटनाएं और समाज व राजनीति पर इसके गहरे प्रभाव।

पाठ्यपुस्तकBSTBPC
कक्षाकक्षा – 9
विषयइतिहास
अध्यायअध्याय 3
प्रकरणफ्रांस की क्रांति

बिहार बोर्ड कक्षा 9 इतिहास अध्याय 3: फ्रांस की क्रांति के वस्तुनिष्ठ प्रश्नों के उत्तर:

📘 वस्तुनिष्ठ प्रश्न:

1. फ्रांस की राजक्रांति किस ईस्वी में हुई?

(क) 1776
(ख) 1789 ✅
(ग) –
(घ) 1832
उत्तर: (ख) 1789

2. बैस्टिल का पतन कब हुआ?

(क) 5 मई 1789
(ख) 20 जून 1789
(ग) 14 जुलाई 1789 ✅
(घ) 27 अगस्त 1789
उत्तर: (ग) 14 जुलाई 1789

3. प्रथम एस्टेट में कौन आते थे?

(क) सर्वसाधारण
(ख) किसान
(ग) पादरी ✅
(घ) राजा
उत्तर: (ग) पादरी

4. द्वितीय एस्टेट में कौन आते थे?

(क) पादरी
(ख) राजा
(ग) कुलीन ✅
(घ) मध्यम वर्ग
उत्तर: (ग) कुलीन

5. तृतीय एस्टेट में इनमें से कौन थे?

(क) दार्शनिक ✅
(ख) कुलीन
(ग) पादरी
(घ) न्यायाधीश
उत्तर: (क) दार्शनिक

6. वोल्टेयर क्या था?

(क) वैज्ञानिक
(ख) गणितज्ञ
(ग) लेखक ✅
(घ) शिल्पकार
उत्तर: (ग) लेखक

7. रूसो किस सिद्धांत का समर्थक था?

(क) समाजवाद
(ख) जनता की इच्छा (General Will) ✅
(ग) शक्ति पृथक्करण
(घ) निरंकुशता
उत्तर: (ख) जनता की इच्छा

8. मांटेस्क्यू ने कौन सी पुस्तक लिखी?

(क) सामाजिक संविदा
(ख) विधि की आत्मा ✅
(ग) दास कैपिटल
(घ) वृहत ज्ञानकोष
उत्तर: (ख) विधि की आत्मा

9. फ्रांस की राजक्रांति के समय वहां का राजा कौन था?

(क) नेपोलियन
(ख) लुई XIV
(ग) लुई XVI ✅
(घ) मिराब्यो
उत्तर: (ग) लुई XVI

10. फ्रांस में स्वतंत्रता दिवस कब मनाया जाता है?

(क) 4 जुलाई
(ख) 14 जुलाई ✅
(ग) 27 अगस्त
(घ) 31 जुलाई
उत्तर: (ख) 14 जुलाई

📗 रिक्त स्थानों की पूर्ति करें:

1. लुई XVI सन् 1774 ई. में फ्रांस की गद्दी पर बैठा।
2. मैरी एंटोनेट लुई XVI की पत्नी थी।
3. फ्रांस की संसदीय संस्था को एस्टेट जनरल कहते थे।
4. ठेका पर टैक्स वसूलने वाले पूंजीपतियों को ठेकेदार कहा जाता था।
5. शक्ति के पृथक्करण के सिद्धांत की स्थापना मोंटेस्क्यू ने की।
6. रूसो की प्रसिद्ध पुस्तक ‘सामाजिक संविदा’ है।
7. 27 अगस्त 1789 को फ्रांस की नेशनल एसेम्बली ने मानवाधिकारों की घोषणा की।
8. जैकोबिन दल का प्रसिद्ध नेता रोबेस्पिएर था।
9. दास प्रथा का अंतिम रूप से उन्मूलन 1848 ई. में हुआ।
10. फ्रांसीसी महिलाओं को मतदान का अधिकार सन् 1946 ई. में मिला।

बिहार बोर्ड कक्षा 9 इतिहास अध्याय 3: फ्रांस की क्रांति के लघु उत्तरीय प्रश्नों के उत्तर:

प्रश्न 1. फ्रांस की क्रांति के राजनैतिक कारण क्या थे?

उत्तर : राजा लुई सोलहवें की निरंकुश शासन प्रणाली, न्याय व्यवस्था में भ्रष्टाचार, आम जनता की राजनीतिक भागीदारी का अभाव और “लेटर्स डी कैचेट” जैसी अत्याचारी नीतियाँ फ्रांसीसी जनता को असंतोष की ओर ले गईं। यह क्रांति के मुख्य राजनैतिक कारण बने।

प्रश्न 2. फ्रांस की क्रांति के सामाजिक कारण क्या थे?

उत्तर : फ्रांस का समाज तीन वर्गों में बँटा था, जिसमें पहला और दूसरा वर्ग विशेषाधिकार प्राप्त था जबकि तीसरे वर्ग को कर देना पड़ता था। सामाजिक असमानता, भेदभाव और उत्पीड़न से तीसरे वर्ग में असंतोष बढ़ा, जो क्रांति का प्रमुख कारण बना।

प्रश्न 3. क्रांति के आर्थिक कारणों पर प्रकाश डालें।

उत्तर : फ्रांस की अर्थव्यवस्था अत्यधिक करों, ऋण और फिजूल खर्ची से कमजोर हो गई थी। आम जनता पर करों का बोझ था जबकि धनी वर्ग छूट में था। खाद्य संकट और बेरोजगारी ने जनता को क्रांति के लिए प्रेरित किया।

प्रश्न 4. फ्रांस की क्रांति के बौद्धिक कारणों का उल्लेख करें।

उत्तर : दार्शनिकों जैसे रूसो, वोल्टेयर और मोंटेस्क्यू ने समानता, स्वतंत्रता और बंधुत्व के विचार फैलाए। उन्होंने निरंकुशता और पादरियों के अत्याचारों की आलोचना की। इनके विचारों ने जनता को नई चेतना दी और क्रांति को प्रेरित किया।

प्रश्न 5. “लेटर्स डी कैचेट” से आप क्या समझते हैं?

उत्तर : “लेटर्स डी कैचेट” राजा द्वारा जारी एक गुप्त आदेश था, जिससे किसी को भी बिना सुनवाई के जेल भेजा जा सकता था। इससे जनता में भारी असंतोष फैला।

प्रश्न 6. अमेरिका के स्वतंत्रता संग्राम का फ्रांस की क्रांति पर क्या प्रभाव पड़ा?

उत्तर : अमेरिकी स्वतंत्रता संग्राम ने फ्रांसीसी जनता को प्रेरित किया कि जन-इच्छा से सत्ता बदली जा सकती है। अमेरिकी संविधान और मौलिक अधिकारों की अवधारणाओं ने फ्रांसीसी क्रांति के विचारों को बल दिया।

प्रश्न 7. ‘मानव एवं नागरिकों’ के अधिकार से आप क्या समझते हैं?

उत्तर : यह एक घोषणापत्र था जिसमें समानता, स्वतंत्रता, संपत्ति और सुरक्षा जैसे अधिकारों की घोषणा की गई। यह फ्रांस की नेशनल असेंबली द्वारा पारित हुआ और लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों की नींव बना।

प्रश्न 8. फ्रांस की क्रांति का इंग्लैंड पर क्या प्रभाव पड़ा?

उत्तर: इंग्लैंड में फ्रांसीसी क्रांति से लोकतांत्रिक विचारों का प्रचार हुआ। वहाँ के सुधारवादियों को प्रेरणा मिली, हालांकि सरकार ने क्रांति जैसी घटनाओं से डरकर दमनकारी नीतियाँ भी अपनाईं।

प्रश्न 9. फ्रांस की क्रांति ने इटली को प्रभावित किया, कैसे?

उत्तर: फ्रांसीसी क्रांति के विचारों ने इटली में राष्ट्रवाद और स्वतंत्रता की भावना को जाग्रत किया। वहाँ के लोगों ने भी एकीकृत और गणराज्यात्मक शासन की मांग शुरू की, जो आगे चलकर क्रांति में बदला।

प्रश्न 10. फ्रांस की क्रांति से जर्मनी कैसे प्रभावित हुआ?

उत्तर : फ्रांसीसी क्रांति ने जर्मनी में भी समानता और स्वतंत्रता की भावना को जन्म दिया। वहां के लोगों ने भी निरंकुश शासन के विरुद्ध आवाज़ उठाई और राष्ट्रीय एकता की मांग शुरू की।

बिहार बोर्ड कक्षा 9 इतिहास अध्याय 3: फ्रांस की क्रांति के दीर्घ उत्तरीय प्रश्नों के उत्तर:

प्रश्न 1. फ्रांस की क्रांति के क्या कारण थे?

उत्तर: फ्रांस की क्रांति के कई महत्वपूर्ण कारण थे।

1. राजनैतिक कारण – राजा लुई XVI निरंकुश था। राजा के पास अपार शक्ति थी और जनता को कोई अधिकार नहीं था।
2. सामाजिक कारण – समाज को तीन वर्गों में बाँटा गया था: पादरी, कुलीन और तीसरा वर्ग। तीसरे वर्ग को कोई अधिकार नहीं था और उन्हें कर देना पड़ता था।
3. आर्थिक कारण – फ्रांस आर्थिक संकट से गुजर रहा था। कर प्रणाली अन्यायपूर्ण थी। राजा के शाही खर्च, युद्धों में धन की बर्बादी और कर वसूली से जनता त्रस्त थी।
4. दार्शनिकों का प्रभाव – रूसो, वोल्टेयर और मांटेस्क्यू जैसे दार्शनिकों ने स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व का प्रचार किया।
5. अमेरिकी क्रांति का प्रभाव – अमेरिकी स्वतंत्रता संग्राम ने फ्रांसीसी जनता को भी स्वतंत्रता की प्रेरणा दी।
6. प्राकृतिक आपदाएं – अन्न संकट और महंगाई ने जनता की स्थिति और खराब कर दी।

इन सभी कारणों ने मिलकर 1789 ईस्वी में फ्रांस की क्रांति का मार्ग प्रशस्त किया।

प्रश्न 2. फ्रांस की क्रांति के परिणामों का उल्लेख करें।

उत्तर: फ्रांस की क्रांति ने यूरोप और विश्व को गहराई से प्रभावित किया।

1. राजशाही का अंत – लुई XVI को मृत्युदंड देकर राजशाही समाप्त कर दी गई।
2. गणराज्य की स्थापना – फ्रांस में गणराज्य की स्थापना हुई, और संविधान बना।
3. सामाजिक समानता – जातीय विशेषाधिकारों को समाप्त कर सबको समान अधिकार मिले।
4. मानव अधिकार – ‘मानव और नागरिकों के अधिकारों की घोषणा’ ने स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व के सिद्धांत को बढ़ावा दिया।
5. जैकोबिन दल का शासन – रोबेस्पियर के नेतृत्व में कठोर शासन चला जिसमें कई लोगों को मृत्युदंड दिया गया।
6. यूरोप पर प्रभाव – यूरोपीय देशों में भी जागरूकता आई और जन आंदोलनों की शुरुआत हुई।
7. महिलाओं का योगदान – महिलाओं ने क्रांति में भाग लिया लेकिन अधिकारों की मांग अधूरी रह गई।

यह क्रांति आधुनिक युग की शुरुआत मानी जाती है, जिसने लोकतंत्र, समानता और मानवाधिकारों की नींव रखी।

प्रश्न 3. फ्रांस की क्रांति एक मध्यम वर्गीय क्रांति थी, कैसे?

उत्तर: फ्रांस की क्रांति मुख्य रूप से मध्यम वर्ग द्वारा शुरू की गई और संचालित की गई थी।

1. तीसरा एस्टेट – इसमें व्यापारी, वकील, डॉक्टर, शिक्षक आदि मध्यम वर्गीय लोग शामिल थे, जो सबसे अधिक कर चुकाते थे, परंतु उन्हें कोई अधिकार नहीं थे।
2. शिक्षित वर्ग – ये लोग शिक्षित थे और दार्शनिक विचारों से प्रभावित थे।
3. दार्शनिकों का प्रभाव – मध्यम वर्ग के लोगों ने वोल्टेयर, रूसो और मांटेस्क्यू के विचारों को अपनाया और जनता को जागरूक किया।
4. राजनैतिक नेतृत्व – नेशनल असेंबली और संविधान निर्माण में अधिकांश योगदान मध्यम वर्ग का ही था।
5. आर्थिक शोषण के विरुद्ध आंदोलन – इस वर्ग ने राजाओं की अपार विलासिता और अनुचित कर प्रणाली का विरोध किया।

हालांकि क्रांति में अन्य वर्गों ने भी भाग लिया, परंतु इसकी दिशा और नेतृत्व मुख्यतः मध्यम वर्ग ने ही संभाला, इसलिए इसे मध्यम वर्गीय क्रांति कहा जाता है।

प्रश्न 4. फ्रांस की क्रांति में वहां के दार्शनिकों का क्या योगदान था?

उत्तर: फ्रांस की क्रांति में दार्शनिकों ने अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

1. रूसो – उसने ‘सामाजिक संविदा’ का सिद्धांत दिया, जिसमें कहा कि सत्ता जनता की इच्छा से ही बनती है।
2. वोल्टेयर – उसने धर्म, अंधविश्वास और निरंकुश सत्ता की आलोचना की। वह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का समर्थक था।
3. मांटेस्क्यू – उसने ‘विधि की आत्मा’ पुस्तक में शक्ति पृथक्करण (कार्यपालिका, विधायिका, न्यायपालिका) का विचार दिया।
4. दार्शनिक विचारों का प्रचार – इन विचारों का प्रचार अखबारों, पुस्तकों और चर्चाओं के माध्यम से हुआ, जिससे जनता जागरूक हुई।
5. शिक्षित वर्ग पर प्रभाव – मध्यम वर्ग और शिक्षित लोगों ने इन विचारों को अपनाया और क्रांति के लिए नेतृत्व किया।

इन दार्शनिकों ने सामाजिक समानता, स्वतंत्रता और न्याय जैसे मूल्यों को जन-जन तक पहुंचाया, जिससे क्रांति के लिए वैचारिक भूमि तैयार हुई।

प्रश्न 5. फ्रांस की क्रांति की देनों का उल्लेख करें।

उत्तर: फ्रांस की क्रांति ने विश्व को कई अमूल्य देनें दीं:

1. लोकतंत्र का बीजारोपण – राजतंत्र समाप्त हुआ और गणराज्य की स्थापना हुई।
2. मानव अधिकार – ‘मानव और नागरिक अधिकारों की घोषणा’ से स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व का संदेश फैला।
3. कानून की समानता – सभी नागरिकों को समान अधिकार मिले, जातीय विशेषाधिकार समाप्त किए गए।
4. सत्ता का विकेंद्रीकरण – शक्ति तीन शाखाओं में विभाजित की गई: कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका।
5. जनजागरूकता – जनता को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक किया गया।
6. महिलाओं की भूमिका – महिलाओं ने भी सक्रिय भूमिका निभाई, हालांकि अधिकार सीमित रहे।
7. यूरोप पर प्रभाव – अन्य देशों में भी स्वतंत्रता और समानता की मांग बढ़ी।

फ्रांस की क्रांति आधुनिक लोकतंत्र की नींव मानी जाती है, जिसने न केवल फ्रांस को बदला बल्कि संपूर्ण विश्व को प्रभावित किया।

प्रश्न 6. फ्रांस की क्रांति ने यूरोपीय देशों को किस तरह प्रभावित किया?

उत्तर: फ्रांस की क्रांति का प्रभाव संपूर्ण यूरोप पर पड़ा:

1. राजशाही की आलोचना – अन्य देशों की जनता भी राजतंत्र और विशेषाधिकारों का विरोध करने लगी।
2. स्वतंत्रता की लहर – स्वतंत्रता, समानता और न्याय की अवधारणा पूरे यूरोप में फैली।
3. जन आंदोलन – इटली, जर्मनी, स्पेन, ऑस्ट्रिया आदि देशों में भी स्वतंत्रता के आंदोलन शुरू हुए।
4. दार्शनिक प्रभाव – वोल्टेयर, रूसो के विचारों का असर यूरोपीय शिक्षित वर्ग पर भी पड़ा।
5. सत्ता का डर – राजाओं ने अपने देशों में सुधार करना शुरू किया ताकि क्रांति जैसी स्थिति न उत्पन्न हो।
6. नेपोलियन का प्रभाव – नेपोलियन ने इन विचारों को युद्ध के माध्यम से यूरोप में फैलाया।

इस प्रकार फ्रांसीसी क्रांति यूरोप में नए युग की शुरुआत बन गई, जिसने राजनैतिक और सामाजिक चेतना का मार्ग प्रशस्त किया।

प्रश्न 7. ‘फ्रांस की क्रांति एक युगांतरकारी घटना थी’ इस कथन की पुष्टि करें।

उत्तर: फ्रांस की क्रांति को युगांतरकारी इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसने पूरे विश्व की राजनीति, समाज और विचारधारा को बदल दिया:

1. राजशाही का अंत – निरंकुश राजशाही की जगह गणराज्य की स्थापना हुई।
2. जन अधिकारों की स्थापना – जनता को स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व के अधिकार मिले।
3. नव विचारों का जन्म – दार्शनिक विचारों ने लोकतंत्र, मानवाधिकार और कानून की समानता को जन्म दिया।
4. विश्व पर प्रभाव – अमेरिका, इटली, जर्मनी सहित कई देशों में स्वतंत्रता आंदोलनों की शुरुआत हुई।
5. सामाजिक परिवर्तन – जातिवाद, कर अन्याय और विशेषाधिकार की परंपराएं समाप्त हुईं।
6. यूरोपीय इतिहास में मोड़ – इस क्रांति ने यूरोपीय इतिहास को नई दिशा दी।

इसलिए फ्रांस की क्रांति को न केवल फ्रांस बल्कि पूरे विश्व में आधुनिक युग का प्रारंभ माना जाता है।

प्रश्न 8. फ्रांस की क्रांति के लिए लुई XVI किस तरह उत्तरदाई था?

उत्तर: फ्रांस की क्रांति के लिए लुई XVI की नीतियाँ व कार्य काफी हद तक जिम्मेदार थीं।

1. राजकोषीय संकट – लुई XVI ने अमेरिका के स्वतंत्रता संग्राम में सहायता दी, जिससे फ्रांस कर्ज में डूब गया।
2. विलासी जीवनशैली – राजा और रानी (मैरी एंटोइनेट) का भव्य और विलासपूर्ण जीवन आम जनता को असंतोष में डालता था।
3. कर प्रणाली में भेदभाव – तीसरे एस्टेट पर ही भारी कर लगाया जाता था, जबकि प्रथम व द्वितीय एस्टेट कर से मुक्त थे।
4. अविवेकपूर्ण निर्णय – लुई ने जबरन टैक्स लगाने की कोशिश की, पर संसद (एस्टेट जनरल) को बुलाकर स्थिति और बिगाड़ दी।
5. जनता की मांगों की अनदेखी – जब जनता ने सुधार की मांग की तो उन्होंने दमन किया।

इन सभी कारणों से जनता में असंतोष बढ़ा और उन्होंने राजा के खिलाफ विद्रोह कर दिया। अतः लुई XVI को फ्रांसीसी क्रांति का एक प्रमुख कारण माना जाता है।

प्रश्न 9. फ्रांस की क्रांति में जैकोबिन दल की क्या भूमिका थी?

उत्तर: जैकोबिन दल फ्रांस की क्रांति का सबसे क्रांतिकारी दल था, जिसने जनता के अधिकारों के लिए संघर्ष किया।

1. स्थापना – यह दल 1793 में सक्रिय हुआ, और रोबस्पियर इसका प्रमुख नेता था।
2. राजतंत्र का अंत – जैकोबिनों ने लुई XVI को फांसी दी और गणराज्य की घोषणा की।
3. नवीन सुधार – किसानों को भूमि, मजदूरों को अधिकार, और महिलाओं को समानता का समर्थन मिला।
4. आर्थिक सुधार – भोजन व आवश्यक वस्तुओं के दाम नियंत्रित किए गए और गरीबों को राहत दी गई।
5. डर का शासन (Reign of Terror) – शत्रुओं को समाप्त करने के लिए गिलोटिन द्वारा हजारों लोगों को मृत्युदंड दिया गया।

हालांकि जैकोबिनों की नीतियाँ अत्यधिक कठोर थीं, फिर भी उन्होंने फ्रांस में क्रांति को चरम पर पहुँचाया और सामाजिक समानता का मार्ग प्रशस्त किया।

प्रश्न 10. नेशनल असेंबली और नेशनल कन्वेंशन ने फ्रांस के लिए कौन-कौन से सुधार पारित किए?

उत्तर: नेशनल असेंबली (1789-1791) और नेशनल कन्वेंशन (1792-1795) ने फ्रांस में कई क्रांतिकारी सुधार किए:

🔷 नेशनल असेंबली के सुधार:

1. मानव और नागरिक अधिकारों की घोषणा की गई।
2. राजशाही सीमित हुई और संविधान निर्मित हुआ।
3. प्रथम और द्वितीय एस्टेट के विशेषाधिकार समाप्त किए गए।
4. चर्च की संपत्ति राष्ट्रीयकरण की गई।

🔶 नेशनल कन्वेंशन के सुधार:

1. फ्रांस को गणराज्य घोषित किया गया।
2. राजा लुई XVI को मृत्युदंड दिया गया।
3. जैकोबिनों ने भूमि का पुनर्वितरण किया।
4. दास प्रथा समाप्त की गई।
5. शिक्षा और कर प्रणाली में सुधार किए गए।

इन दोनों संस्थाओं ने फ्रांस को एक नया संविधान, न्यायपूर्ण समाज और आधुनिक राष्ट्र की दिशा में आगे बढ़ाया।

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