
Bihar Board Class 9 राजनीति विज्ञान अध्याय 3 संविधान निर्माण के इस अध्याय हमें भारतीय संविधान की रचना प्रक्रिया को सरल भाषा में समझाता है।
यह अध्याय बताता है कि संविधान कैसे बना, इसके निर्माण में किन-किन लोगों की भूमिका थी और इसका उद्देश्य क्या था।
छात्रों के लिए यह अध्याय भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों और नागरिक अधिकारों की नींव को समझने में मदद करता है।
पाठ्यपुस्तक | NCERT / SCERT |
कक्षा | कक्षा 9 |
विषय | राजनीति विज्ञान |
अध्याय | अध्याय 3 |
प्रकरण | संविधान निर्माण |
Bihar Board Class 9 राजनीति विज्ञान अध्याय 3 संविधान निर्माण के प्रश्नों का उत्तर:
1: नीचे कुछ गलत वाक्य हैं। हर एक में की गई गलती पहचानें और इस अध्याय के आधार पर उन्हें ठीक करके लिखें।
(पाठ – अध्याय 3: संविधान निर्माण, कक्षा 9 राजनीति विज्ञान, बिहार बोर्ड)
(क) गलत वाक्य:
स्वतंत्रता के बाद देश लोकतांत्रिक हो या नहीं इस विषय पर स्वतंत्रता आंदोलन के नेताओं ने अपना दिमाग खुला रखा था।
✅ सही वाक्य:
स्वतंत्रता आंदोलन के नेताओं ने पहले ही तय कर लिया था कि भारत एक लोकतांत्रिक देश होगा।
📝 व्याख्या:
भारत के स्वतंत्रता संग्राम के नेता लोकतंत्र के पक्षधर थे और उन्होंने जनता के अधिकारों, समानता और चुनाव जैसे मूल्यों को संविधान का आधार बनाया।
(ख) गलत वाक्य:
भारतीय संविधान सभा के सभी सदस्य संविधान में कही गई हर एक बात पर सहमत थे।
✅ सही वाक्य:
संविधान सभा में सभी सदस्य हर एक बात पर सहमत नहीं थे, लेकिन उन्होंने बहस और विचार-विमर्श के माध्यम से सहमति बनाई।
📝 व्याख्या:
संविधान सभा में विभिन्न मत और विचारधाराएं थीं, परंतु लोकतांत्रिक तरीके से समाधान निकालकर सर्वसम्मति का प्रयास किया गया।
(ग) गलत वाक्य:
जिन देशों में संविधान है वहां लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था ही होगी।
✅ सही वाक्य:
हर उस देश में जहां संविधान है, जरूरी नहीं कि वहां लोकतांत्रिक शासन ही हो।
📝 व्याख्या:
कई देशों में संविधान होते हुए भी वहां तानाशाही या राजशाही शासन हो सकता है। लोकतंत्र केवल संविधान से नहीं, उसकी कार्यप्रणाली से स्थापित होता है।
(घ) गलत वाक्य:
संविधान देश का सर्वोच्च कानून होता है इसलिए इसमें बदलाव नहीं किया जा सकता।
✅ सही वाक्य:
संविधान देश का सर्वोच्च कानून होता है, लेकिन समय और आवश्यकता के अनुसार उसमें संशोधन किया जा सकता है।
📝 व्याख्या:
भारतीय संविधान को लचीला बनाया गया है ताकि सामाजिक, राजनीतिक व आर्थिक बदलावों के अनुसार उसे संशोधित किया जा सके।
2: दक्षिण अफ्रीका का लोकतांत्रिक संविधान बनाने में इनमें कौन सा टकराव सबसे महत्वपूर्ण था?
(क) दक्षिण अफ्रीका और उसके पड़ोसी देशों का।
(ख) स्त्रियों और पुरुषों का
(ग) गोरे अल्पसंख्यक और अश्वेत बहुसंख्यकों का ✅
(घ) रंगीन चमड़ी वाले बहुसंख्यकों और अश्वेत अल्पसंख्यकों का
उत्तर: (ग) गोरे अल्पसंख्यक और अश्वेत बहुसंख्यकों का
3: लोकतांत्रिक संविधान में कौन सा प्रावधान नहीं रहता?
(क) शासन प्रमुख के अधिकार
(ख) शासन प्रमुख का नाम ✅
(ग) विधायकी के अधिकार
(घ) देश का नाम
उत्तर: (ख) शासन प्रमुख का नाम
4: संविधान निर्माण में इन नेताओं और उनकी भूमिकाओं में मेल बैठाएँ।
(क) मोतीलाल नेहरू | 1. संविधान सभा के अध्यक्ष |
(ख) बी. आर. अंबेडकर | 2. संविधान सभा की सदस्य |
(ग) राजेंद्र प्रसाद | 3. प्रारूप समिति के अध्यक्ष |
(घ) सरोजिनी नायडू | 4. 1928 में भारत का संविधान बनाया |
✅ सही मिलान: (क) – 4, (ख) – 3, (ग) – 1, (घ) – 2
नेता | भूमिका |
---|---|
(क) मोतीलाल नेहरू | 4. 1928 में भारत का संविधान बनाया |
(ख) बी. आर. अंबेडकर | 3. प्रारूप समिति के अध्यक्ष |
(ग) राजेंद्र प्रसाद | 1. संविधान सभा के अध्यक्ष |
(घ) सरोजिनी नायडू | 2. संविधान सभा की सदस्य |
5: जवाहरलाल नेहरू के “नियति के साथ साक्षात्कार” (Tryst with Destiny) वाले भाषण के आधार पर उत्तर –
(क) नेहरू ने क्यों कहा कि भारत का भविष्य सुस्ताने और आराम करने का नहीं है?
उत्तर:
नेहरू ने कहा कि भारत का भविष्य सुस्ताने और आराम करने का नहीं है क्योंकि स्वतंत्रता प्राप्त करना केवल पहला कदम है। देश को गरीबी, भेदभाव, असमानता, और सामाजिक बुराइयों से लड़ना है। आज़ादी के बाद असली चुनौती देश का पुनर्निर्माण करना है, इसलिए भारत को अब और अधिक मेहनत करनी होगी।
(ख) नए भारत के सामने किस तरह की विश्व से जुड़ी चुनौतियाँ हैं?
उत्तर:
नए भारत के सामने विश्व से जुड़ी चुनौतियाँ हैं— जैसे अंतरराष्ट्रीय सहयोग बनाए रखना, शांति और न्याय के सिद्धांतों पर चलना, वैश्विक समस्याओं में भागीदारी निभाना और दुनिया को दिखाना कि भारत एक स्वतंत्र, जिम्मेदार और लोकतांत्रिक राष्ट्र है।
(ग) वे संविधान निर्माताओं से क्या शपथ चाहते थे?
उत्तर:
नेहरू चाहते थे कि संविधान निर्माता यह शपथ लें कि वे भारत को एक न्यायप्रिय, समतावादी और स्वतंत्र देश बनाएंगे। वे यह भी चाहते थे कि वे गरीबी, भेदभाव और सामाजिक असमानता को समाप्त करने के लिए ईमानदारी और समर्पण के साथ कार्य करें।
6: हमारे संविधान को दिशा देने वाले मूल्य और उनके अर्थ का मिलान करके दोबारा लिखें –
(क) संप्रभु | 1. सरकार किसी धर्म के निर्देशों के अनुसार काम नहीं करेगी। |
(ख) गणतंत्र | 2. फैसले लेने का सर्वोच्च अधिकार लोगों के पास है। |
(ग) बंधुत्व | 3. शासन प्रमुख एक चुनाव हुआ व्यक्ति है। |
(घ) धर्मनिरपेक्ष | 4. लोगों को आपस में परिवार की तरह रहना चाहिए |
उत्तर:
(क) संप्रभु | 2. फैसले लेने का सर्वोच्च अधिकार लोगों के पास है। |
(ख) गणतंत्र | 3. शासन प्रमुख एक चुनाव हुआ व्यक्ति है। |
(ग) बंधुत्व | 4. लोगों को आपस में परिवार की तरह रहना चाहिए |
(घ) धर्मनिरपेक्ष | 1. सरकार किसी धर्म के निर्देशों के अनुसार काम नहीं करेगी। |
Bihar Board Class 9 राजनीति विज्ञान अध्याय 3 संविधान निर्माण के प्रश्नों का उत्तर:
7: कुछ दिन पहले नेपाल से आपका एक मित्र ने वहां की राजनीतिक स्थितियों के बारे में आपको पत्र लिखा था। वहां उनके राजनीतिक पार्टियाँ राजा के शासन का विरोध कर रही थी। उनमें से कुछ का कहना था कि राजा द्वारा दिए गए मौजूदा संविधान में ही संशोधन करके चुने हुए प्रतिनिधियों को ज्यादा अधिकार दिए जा सकते हैं। अन्य पार्टियाँ नया गणतांत्रिक संविधान बनाने के लिए नई संविधान सभा गठित करने की मांग कर रही थी। इस विषय में अपनी राय बताते हुए अपने मित्र को पत्र लिखें।
उत्तर: मित्र को पत्र (नेपाल की राजनीतिक स्थिति पर राय देते हुए)
प्रिय मित्र,
सप्रेम नमस्कार।
तुम्हारा पत्र पाकर मुझे बहुत खुशी हुई। नेपाल की वर्तमान राजनीतिक स्थिति के बारे में जानकर मुझे गहरी चिंता भी हुई और आशा की किरण भी दिखाई दी। यह देखकर अच्छा लगा कि वहां की जनता और राजनीतिक दल लोकतंत्र के लिए संगठित होकर आवाज उठा रहे हैं।
तुम्हारे पत्र में बताया गया कि कुछ राजनीतिक दल पुराने संविधान में संशोधन कर अधिकारों की मांग कर रहे हैं, जबकि कुछ नई संविधान सभा बनाकर नया गणतांत्रिक संविधान चाहते हैं। मेरे विचार से, नेपाल के लिए एक नई संविधान सभा का गठन कर नया गणतांत्रिक संविधान बनाना अधिक उचित होगा। पुराना संविधान राजा द्वारा बनाया गया है, जो एकतरफा और पूर्ण लोकतांत्रिक भावना के विपरीत हो सकता है।
नया संविधान जनता के प्रतिनिधियों द्वारा, जनता की भागीदारी से बनाया जाएगा, जिसमें सभी वर्गों, जातियों और समुदायों के अधिकारों का समुचित ध्यान रखा जा सकेगा। इससे न केवल लोकतंत्र की नींव मजबूत होगी, बल्कि नेपाल का भविष्य भी उज्जवल होगा।
आशा करता हूँ कि तुम और तुम्हारा परिवार कुशल होंगे। अपने देश के लिए तुम्हारा संघर्ष सराहनीय है। अपने अनुभव मुझे अवश्य लिखते रहना।
तुम्हारा स्नेही मित्र,
[तुम्हारा नाम]
8: भारत के लोकतंत्र के स्वरूप में विकास के प्रमुख कारणों के बारे में कुछ अलग-अलग विचार इस प्रकार हैं। आप इनमें से हर कथन को भारत में लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए कितना महत्वपूर्ण कारण मानते हैं?
उत्तर: भारत में लोकतांत्रिक व्यवस्था के विकास के प्रमुख कारणों के संबंध में दिए गए प्रत्येक कथन का विश्लेषण इस प्रकार किया जा सकता है:
(क) अंग्रेज शासकों ने भारत को उपहार के रूप में लोकतांत्रिक व्यवस्था दी। हमनें ब्रिटिश हुकूमत के समय बनी प्रांतीय असेंबली के जरिए लोकतांत्रिक व्यवस्था में काम करने का प्रशिक्षण पाया।
➡️ महत्व सीमित है।
यह कहना सही नहीं होगा कि लोकतंत्र अंग्रेजों का उपहार था। हालांकि ब्रिटिश शासन के दौरान बनी प्रांतीय असेंबलियों ने भारतीय नेताओं को लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं का प्रशिक्षण जरूर दिया, लेकिन यह शासन शोषणकारी था। इसलिए इसे लोकतंत्र के लिए “मुख्य कारण” नहीं माना जा सकता।
(ख) हमारे स्वतंत्रता संग्राम ने औपनिवेशिक शोषण और भारतीय लोगों को तरह-तरह की आजादी न दिए जाने का विरोध किया। ऐसे में स्वतंत्र भारत को लोकतांत्रिक होना ही था।
➡️ अत्यंत महत्वपूर्ण कारण।
स्वतंत्रता संग्राम का उद्देश्य सिर्फ आजादी प्राप्त करना नहीं था, बल्कि हर भारतीय को समान अधिकार, स्वतंत्रता और सम्मान दिलाना भी था। इसी संघर्ष के परिणामस्वरूप लोकतंत्र की भावना मजबूत हुई और स्वतंत्र भारत ने इसे स्वीकार किया।
(ग) हमारे राष्ट्रवादी नेताओं की आस्था लोकतंत्र में थी। उनके नव स्वतंत्र राष्ट्रों में लोकतंत्र का न आना हमारे नेताओं की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करता है।
➡️ बहुत महत्वपूर्ण कारण।
महात्मा गांधी, नेहरू, अंबेडकर, पटेल जैसे नेताओं की लोकतंत्र में गहरी आस्था थी। उन्होंने संविधान सभा के माध्यम से एक ऐसा लोकतांत्रिक ढांचा तैयार किया, जो समावेशी और न्यायपूर्ण था। इन नेताओं की दूरदृष्टि और प्रतिबद्धता के कारण ही लोकतंत्र भारत में स्थिर रूप से स्थापित हो पाया।
निष्कर्ष:
भारत में लोकतंत्र का विकास केवल औपनिवेशिक प्रभाव का परिणाम नहीं था, बल्कि स्वतंत्रता संग्राम और नेताओं की लोकतांत्रिक सोच इसके प्रमुख आधार थे।
9: निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए। क्या आप उनसे सहमत हैं? अपने कारण बताइए।
उत्तर: निम्नलिखित कथनों पर विचार करके उनके सही या गलत होने के तर्क नीचे दिए गए हैं:
(क) संविधान के नियमों की हैसियत किसी भी अन्य कानून के बराबर है।
❌ असहमत
कारण: संविधान देश का सर्वोच्च कानून होता है। संसद या विधानसभाएं जो भी कानून बनाती हैं, वे संविधान के अनुसार ही मान्य होते हैं। अगर कोई कानून संविधान के खिलाफ है तो उसे अवैध ठहराया जा सकता है। इसलिए संविधान की हैसियत अन्य कानूनों से कहीं ऊँची है।
(ख) संविधान बताता है कि शासन व्यवस्था के विविध अंगों का गठन किस तरह होगा।
✅ सहमत
कारण: संविधान में स्पष्ट रूप से बताया गया है कि कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका का गठन कैसे होगा, उनके अधिकार और कार्य क्या होंगे। यह लोकतंत्र की नींव को मजबूत करता है।
(ग) नागरिकों के अधिकार और सरकार की सत्ता की सीमाओं का उल्लेख भी संविधान में स्पष्ट रूप में है।
✅ सहमत
कारण: संविधान में मौलिक अधिकारों और न्यायिक संरक्षण की व्यवस्था है। साथ ही, यह भी स्पष्ट किया गया है कि सरकार किन सीमाओं में रहकर कार्य करेगी। इससे नागरिकों की स्वतंत्रता और सुरक्षा सुनिश्चित होती है।
(घ) संविधान संस्थाओं की चर्चा करता है, उसका मूल्यों से कुछ लेना-देना नहीं है।
❌ असहमत
कारण: संविधान केवल संस्थाओं का ढांचा नहीं बताता, बल्कि उसमें संप्रभुता, लोकतंत्र, धर्मनिरपेक्षता, न्याय, स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व जैसे मूल्यों की भी स्थापना की गई है। ये मूल्य संविधान की आत्मा हैं और संस्थाओं का संचालन इन्हीं पर आधारित होता है।
निष्कर्ष: संविधान केवल कानूनों का संग्रह नहीं है, बल्कि यह शासन प्रणाली, नागरिक अधिकारों और लोकतांत्रिक मूल्यों का मार्गदर्शक दस्तावेज है।
प्रश्न 10: भारतीय संविधान का विश्व के दूसरे देशों के संविधान से तुलना करें।
उत्तर:
भारतीय संविधान को विश्व के अन्य देशों के संविधान से तुलना करते हुए निम्नलिखित बिंदुओं पर विचार किया जा सकता है:
✅ 1. आकार और विस्तार:
- भारत का संविधान दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान है जिसमें 470 से अधिक अनुच्छेद, 12 अनुसूचियाँ और कई उपबंध शामिल हैं।
- जबकि अमेरिका का संविधान विश्व का सबसे छोटा लिखित संविधान है, जिसमें मात्र 7 अनुच्छेद और 27 संशोधन हैं।
✅ 2. संशोधन प्रक्रिया:
- भारत का संविधान लचीला और कठोर दोनों है। कुछ संशोधन सरल हैं जबकि कुछ में विशेष बहुमत और राज्य विधानसभाओं की सहमति आवश्यक होती है।
- ब्रिटेन का संविधान पूरी तरह से लचीला है क्योंकि यह एक लिखित संविधान नहीं है। वहीं, अमेरिका का संविधान बहुत कठोर है, संशोधन करना कठिन होता है।
✅ 3. शासन प्रणाली:
- भारत एक संघात्मक गणराज्य है, जहाँ केंद्र और राज्य दोनों को अधिकार प्राप्त हैं।
- अमेरिका में भी संघीय प्रणाली है, लेकिन राज्यों को अधिक स्वतंत्रता प्राप्त है।
- ब्रिटेन एक एकात्मक शासन प्रणाली वाला देश है, जहाँ सभी शक्तियाँ संसद में केंद्रित हैं।
✅ 4. धर्मनिरपेक्षता और अधिकार:
- भारत धर्मनिरपेक्ष देश है और संविधान नागरिकों को मौलिक अधिकार प्रदान करता है।
- अमेरिका में भी धर्म और राज्य अलग हैं, लेकिन ब्रिटेन में आधिकारिक धर्म है – अंग्लिकन चर्च।
✅ 5. प्रेरणा और विशेषताएँ:
- भारतीय संविधान ने कई देशों से विशेषताएँ अपनाई हैं:
- संविधान की प्रस्तावना और मौलिक अधिकार – अमेरिका से
- संसदीय प्रणाली – ब्रिटेन से
- संविधान में निर्देशात्मक सिद्धांत – आयरलैंड से
- संघीय व्यवस्था – कनाडा से
✅ निष्कर्ष:
भारतीय संविधान विश्व के अनेक संविधानों से प्राप्त अनुभवों और भारतीय परिस्थितियों को ध्यान में रखकर बना है। यह विविधता, समावेशिता, और लोकतांत्रिक मूल्यों पर आधारित एक अद्वितीय संविधान है, जो इसे वैश्विक स्तर पर विशिष्ट बनाता है।
Bihar Board Class 9 राजनीति विज्ञान अध्याय 3 संविधान निर्माण के प्रश्नों का उत्तर:
11: निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए। क्या आप इससे सहमत हैं? अपने कारणों को बताइए।
(क) भारत एक हिंदू बहुल राष्ट्र है, इस कारण हिंदुओं को विशेषाधिकार प्राप्त है।
उत्तर: ❌ असहमत
- भारत एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है, यहाँ किसी भी धर्म को विशेषाधिकार नहीं दिया गया है।
- भारतीय संविधान सभी धर्मों को समान अधिकार देता है और राज्य किसी धर्म को समर्थन नहीं करता।
- मौलिक अधिकारों में धार्मिक स्वतंत्रता सभी नागरिकों को समान रूप से प्राप्त है।
(ख) भारत एक गणराज्य है, क्योंकि यहां राष्ट्रपति का पद वंशानुगत है।
उत्तर: ❌ असहमत
- भारत एक गणराज्य (Republic) है क्योंकि यहाँ का राष्ट्रपति जनता द्वारा निर्वाचित प्रतिनिधियों द्वारा चुना जाता है, न कि किसी वंश परंपरा के अनुसार।
- संविधान में वंशानुगत शासन की कोई व्यवस्था नहीं है।
(ग) नागरिकों के साथ उनकी जाति, धर्म और लिंग के आधार पर भेदभाव नहीं किया जा सकता।
उत्तर: ✅ सहमत
- यह भारतीय संविधान का अनुच्छेद 15 है जो कहता है कि राज्य किसी नागरिक के साथ जाति, धर्म, लिंग, जन्म स्थान आदि के आधार पर भेदभाव नहीं करेगा।
- यह मौलिक अधिकारों में से एक है और संविधान इसे कानूनी रूप से मान्यता देता है।
(घ) कानून के समक्ष सभी लोग समान हैं। क्या वास्तव में ऐसी स्थिति है?
उत्तर: ✅ सिद्धांत रूप से सहमत, व्यवहार में आंशिक
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 के अनुसार, कानून के समक्ष सभी नागरिक समान हैं।
- हालांकि, व्यवहारिक रूप में समाज में अब भी जाति, वर्ग और आर्थिक स्थिति के आधार पर कुछ असमानताएँ देखी जाती हैं।
- इस अंतर को मिटाने के लिए सरकार आरक्षण, जन कल्याण योजनाएँ और कानूनों के माध्यम से प्रयासरत है।
निष्कर्ष: उपर्युक्त कथनों में से (ग) और (घ) संविधान के अनुसार सही हैं, जबकि (क) और (ख) गलत हैं क्योंकि वे भारत की धर्मनिरपेक्षता और गणतांत्रिक व्यवस्था के विरुद्ध हैं।
12: भारतीय संविधान की निम्नलिखित में से कौन सी विशेषताएँ नहीं है?
(क) विशालतम और व्यापक संविधान
(ख) धर्मनिरपेक्षता
(ग) मूल अधिकार तथा मौलिक कर्तव्य
(घ) साम्यवादी शासन
उत्तर:
(घ) साम्यवादी शासन
स्पष्टीकरण:
- भारतीय संविधान विशालतम और व्यापक है — ✅
- यह धर्मनिरपेक्षता को मान्यता देता है — ✅
- इसमें मौलिक अधिकार और मौलिक कर्तव्य दोनों शामिल हैं — ✅
- परंतु भारत में साम्यवादी शासन व्यवस्था नहीं है। भारत एक लोकतांत्रिक गणराज्य है, ना कि साम्यवादी राष्ट्र। इसलिए यह विशेषता भारतीय संविधान में नहीं है।
13: भारतीय संविधान के निर्माण में बिहार के कौन-कौन से नेता सक्रिय थे? उनकी पहचान करें तथा उनके बारे में सूचना एकत्र करें।
उत्तर:
भारतीय संविधान के निर्माण में बिहार के कई प्रमुख नेताओं ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। वे संविधान सभा के सदस्य के रूप में संविधान निर्माण प्रक्रिया में शामिल हुए। उनके नाम और संक्षिप्त जानकारी इस प्रकार है:
🟢 1. डॉ. राजेंद्र प्रसाद
- भूमिका: संविधान सभा के अध्यक्ष
- योगदान: वे संविधान सभा की कार्यवाही का नेतृत्व करते थे। उन्होंने सभी सदस्यों को संयम और लोकतांत्रिक मर्यादाओं का पालन करने हेतु प्रेरित किया।
- विशेष: भारत के पहले राष्ट्रपति बने।
🟢 2. अनुग्रह नारायण सिन्हा
- भूमिका: संविधान सभा के सदस्य
- योगदान: आर्थिक और सामाजिक मामलों पर विशेष ध्यान दिया। वे बिहार के पहले उपमुख्यमंत्री और वित्तमंत्री बने।
- विशेष: वे स्वतंत्रता संग्राम में भी अग्रणी थे।
🟢 3. बैरिस्टर शमशुल हुदा
- भूमिका: संविधान सभा में बिहार का प्रतिनिधित्व
- योगदान: मुस्लिम समुदाय के हितों की आवाज बने, समानता और धर्मनिरपेक्षता पर बल दिया।
- विशेष: कानून के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान।
🟢 4. जयराम दास दौलतराम
- भूमिका: संविधान सभा के सदस्य
- योगदान: उन्होंने सामाजिक न्याय और अधिकारों से संबंधित मुद्दों पर योगदान दिया।
- विशेष: वे बाद में कई राज्यों के राज्यपाल बने।
🟢 5. सत्यनारायण सिन्हा
- भूमिका: संविधान सभा के सदस्य
- योगदान: वे संविधान निर्माण में सक्रिय रहे और बाद में भारत सरकार में मंत्री भी बने।
- विशेष: संसदीय लोकतंत्र के समर्थक।
निष्कर्ष:
बिहार के नेताओं ने भारतीय संविधान के निर्माण में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। डॉ. राजेंद्र प्रसाद जैसे महान नेता ने संविधान सभा का कुशल नेतृत्व कर भारत को एक मजबूत लोकतांत्रिक आधार प्रदान किया।
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